कश्मीर के पंडितों का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है. उन्होंने ट्विटर पर आवाज़ उठाई और अपना दर्द बयान किया. वो दर्द जिसे शायद ही कोई समझ सके. कश्मीर में आज भले ही जनमत संग्रह की बात करना आसान है लेकिन 30 साल पहले कश्मीरी पंडित भी कश्मीर और कश्मीरियत का हिस्सा थे. वो हिस्सा जिसे काट कर फेंक दिया गया, उन्हें उनके घर से निकाल दिया गया, कश्मीर से निकाल दिया गया और वो अपने ही देश में रिफ्यूज़ी हो गए.